ओ३म्
गुरुदेव भजन - ऐसी करी गुरुदेव दया
ऐसी करी गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़ दिया। -4
दौर रहा दिन रात सदा, जपते सब तारविहारन में। -2
सपने सबवेश दिखा मुझे, मेरे चंचल चित को मोड़ दिया। -2
हॉं ऐसी करें गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़ दिया।
कोई शेष गणेश महेश रटे, कोई पूजत पीर पैगंबर को। -2
सब पंथ बिरंत छुराकर के, इक ईश्वर में मन जोर दिया। -2
हॉं ऐसी करे गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़ ।
कोई ढूढ़त है मथुरा नगरी, कोई जाय बनारस वास करें। -2
जब व्यापक रूप पीछान लिया, सब भरम का बंदा फोड़ दिया। -2
हॉं ऐसी करे गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़।
कोैन करु गुरुदेव कि भेंट, न वस्तु दिखे तिनु लोकन में। -2
ब्रह्मानंद समान न होय कभी, धन मार इक लाख करोड़ दिया। -2
हॉं ऐसी करी गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़ दिया।
ऐसी करी गुरुदेव दया, मेरा मोह का बंधन तोड़ दिया। -2
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