कृष्ण भजन — सांवली सुरत पे मोहन

कृष्ण भजन — सांवली सुरत पे मोहन

कृष्ण-भजन—सांवली-सुरत-पे-मोहन

सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।—4
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा।—2
तीसरा नजरे मिलाना दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तेरे होठ पतले, दूसरा लाली लगे।—2
​तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेंहदी लगे।—2
​​तीसरा मुरली बना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तेरे पॉंव नाजुक, दूसरा पायल बंधी।—2
तीसरा घूंघरु बजाना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा।—2
तीसरा ​खिचड़े का खाना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तेरे साथ राधा, दूसरा रुकमिनी खड़ी।—2
तीसरा मीरा का आना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे।—2
​तीसरा सपनों में आना, दिल दिवाना हो गया।
सांवली सुरत पे मोहन, दिल दिवाना हो गया।

------

Post a Comment

Previous Post Next Post