भजन : दया कर, दान भक्ति का

ओ३म्

भजन - दया-कर-दान-भक्ति-का


भजन-दया-कर-दान-भक्ति-का

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।
दया करना, हमारी आत्मा को
शुद्धता देना॥

हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के
परम ज्योति जगा देना॥
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दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।

बहा दो प्रेम की गंगा
दिलो में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिलजुल कर
प्रभु रहना सिखा देना॥

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना

हमारा धर्मं हो सेवा
हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा
हो सेवकचर बना देना।
(सफल जीवन बना देना)

दया कर दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।

वतन के वास्ते जीना
वतन के वास्ते मरना।
वतन पर जा फ़िदा करना
प्रभु हमको सिखा देना॥

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना

दया करना, हमारी आत्मा
को शुद्धता देना
दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना

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