ओ३म्
कबीर भजन : सारे तीरथ धाम आपके चरणो में
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोए,
ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोए।
तीन लोक नव खंड में, गुरु से बड़ो ना कोय,
प्रभु कहे सो टल सके, पर गुरु कहे सो होए।
सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में,
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।।
जनम के दाता मात पिता हैं, आप करम के दाता हैं,
आप मिलाते हैं ईश्वर से, आप ही भाग्य विधाता हैं।
रोगी मन को दुखिया तन को, मिलता है आराम आपके चरणो में,
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।
निर्बल को बलवान बना दो, निर्धन को धनवान गुरु,
‘देवकमल’ और ‘वंसी’ को भी ज्ञान का दो वरदान गुरु।
सब धरती कागज़ करूँ, लेखनी सब वनराय,
समुद्र को स्याही करूँ, पर गुरु गुण लिख्यो ना जाए।
हे महा दानी हे महा ज्ञानी, रहूँ मैं सुबहो शाम आपके चरणो में,
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।
सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में,
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।।
------
इससे सम्बन्धित भजन
Post a Comment