बरस रही प्रभु की कृपा अपार

बरस रही प्रभु की कृपा अपार
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प्रभु सब में समभाव विराजे
सब का करे उद्धार
बरस रही प्रभु की कृपा अपार

कान मिले सत्संग सुनने को
नयन मिले दरशन करने को
हाथ मिले सेवा करके नर
मानव जनम सुधार
बरस रही..........
प्रभु सब में ...........

जीभ मिली हरिनाम जपन को
बुद्धि मिली है श्रवन मनन को
श्रवन मनन निशिधासन करके
हो जा भव से पार
बरस रही..........
प्रभु सब में ...........

धन यौवन का मान न कीजै
मानव जनम सफल कर लीजै
राम नाम का सुमिरन करके
हर में हरि निहार
बरस रही..........
प्रभु सब में ...........

सत्संग सेवा सुमिरन कर ले
श्रद्धा भक्ति से जीवन भर ले
राम कथा की गंगा नहाने
भिक्षु कहे ​पुकार
बरस रही..........
प्रभु सब में ...........

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