ओ३म्
कृष्णा भजन — शाम सवेरे देखु तुझको
शाम सवेरे देखु तुझको, कितना सुंदर रूप है।
तेरे साथ है ठंडी छाया, बॉंकी दुनिया धूप है।
जब जब भी इसे पुकारु मैं, तस्वीर को इसके निहारु मैं।।
मेरा श्याम आ जाता, मेरे सामने।।
खुश हो जाए गर सांवरिया, किस्मत को चमका देता।।
हाथ पकड़ले अगर किसी का, जीवन स्वर्ग बना देता।
ये बातें सोच विचारु मैं, तस्वीर को इसके निहारु मैं।
ओ मेरा श्याम आ जाता, मेरे सामने।।
शाम सवेरे देखु तुझको, कितना सुंदर रूप है।
तेरे साथ है ठंडी छाया, बॉंकी दुनिया धूप है।
जब जब भी जग से हारू मैं, तस्वीर को इसके निहारु मैं।
ओ मेरा शाम आ जाता, मेरे सामने।।
गिरने से पहले हीं आकर बाबा मुझे संभालेगा लेगा।
पुरा है विश्वास ये मुझको तुफानों से निकालेगा।
ये तन मन तुझ पे वारु मैं, तस्वीर को इसके निहारु मैं।।
मेरा श्याम आ जाता, मेरे सामने।।
अपनी तकदीर संवारु मै, तस्वीर को इसके निहारु मैं।
मेरा श्याम आ जाता, मेरे सामने।।
जब जब भी इसे पुकारु मैं, तस्वीर को इसके निहारु मैं।।
ओ मेरा श्याम आ जाता, मेरे सामने।।
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